श्री सालासर बालाजी की आरती और चालीसा ( Salasar Balaji Ke Aarti, Chalisa )
श्री सालासर बालाजी की आरती और चालीसा
श्री सालासर बालाजी आरती को शांत मन के साथ, अपने आप को बालाजी के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं | सालासर बालाजी की आरती तथा हनुमान चालीसा चौपाई यदि आप साफ मन के साथ करेंगे तो निश्चित ही आप को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी तथा आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे | सालासर बालाजी या सालासर धाम भगवान् हनुमान जी के भक्तो के लिए धार्मिक महत्व की एक जगह है| यह चुरू जिले मे राजस्थान सालासर के शहर मे स्थित है| सालासर बाला जी का मंदिर विश्वास और चमत्कारों का एक शक्ति स्थल है| बालाजी की मूर्ति यहाँ भगवान् हनुमान के अन्य सभी मूर्तियों से अलग हैं|
सालासर बालाजी आरती ( Salasar Balaji Aarti, Lyrics)
जयति जय जय बजरंग बाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन ख़ुशी मन में ।
प्रकट भय सुर वानर तन में, विदित यस विक्रम त्रिभुवन में ॥
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर ।
तब जननी की गोद से पहुंचे, उदयाचल पर भोर ॥
॥ अरुण फल लखि रवि मुख डाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इन्द्र बज बाए ।
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाये ॥
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास ।
इधर हो गयो अन्धकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास ॥
॥ भये ब्रह्मादिक बेहाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
देव सब आये तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे ।
पवन कू भी लाए सागे, क्रोध सब पवन तना भागे ॥
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़ ।
सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़ ॥
॥ हो गया जगमें उजियाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
रहे सुग्रीव पास जाई, आ गये बनमें रघुराई ।
हरिरावणसीतामाई, विकलफिरतेदोनों भाई ॥
विप्ररूप धरि राम को, कहा आप सब हाल ।
कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल ॥
॥ दुःख सुग्रीव तना टाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिन्धु लाँघ आया ।
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे बनफल खाया ॥
बन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाया।
चूड़ामणि सन्देश त्रिया का, दिया राम को आय ॥
॥ हुए खुश त्रिभुवन भूपाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
जोड़ कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिन्धु बांध डाला ।
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षस कुल पैमाला ॥
लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय।
देई संजीवन लखन जियाये, रघुवर हर्ष सवाय ॥
॥ गरब सब रावन का गाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया ।
बने वहाँ देवी की काया, करने को अपना चित चाया ॥
अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ ।
मन्त्र विभीषण पाय आप को, हो गयो लंका नाथ ॥
॥ खुल गया करमा का ताला, कृपा कर सालासर वाला ॥
अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना लीना ।
अतुल बल घृत सिन्दूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना ॥
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय।
जो कोई निश्चय कर के ध्यावै, ताकी करो सहाय ॥
॥ कष्ट सब भक्तन का टाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आय सालासर देवे ।
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे ॥
कारज सारो भक्त के, सदा करो कल्यान ।
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान ॥
॥ नाम की जपे सदा माला, कृपा कर सालासर वाला ॥
चैत सुदी पूनम को जन्मे, अंजनी पवन ख़ुशी मन में ।
प्रकट भय सुर वानर तन में, विदित यस विक्रम त्रिभुवन में ॥
दूध पीवत स्तन मात के, नजर गई नभ ओर ।
तब जननी की गोद से पहुंचे, उदयाचल पर भोर ॥
॥ अरुण फल लखि रवि मुख डाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
तिमिर भूमण्डल में छाई, चिबुक पर इन्द्र बज बाए ।
तभी से हनुमत कहलाए, द्वय हनुमान नाम पाये ॥
उस अवसर में रुक गयो, पवन सर्व उन्चास ।
इधर हो गयो अन्धकार, उत रुक्यो विश्व को श्वास ॥
॥ भये ब्रह्मादिक बेहाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
देव सब आये तुम्हारे आगे, सकल मिल विनय करन लागे ।
पवन कू भी लाए सागे, क्रोध सब पवन तना भागे ॥
सभी देवता वर दियो, अरज करी कर जोड़ ।
सुनके सबकी अरज गरज, लखि दिया रवि को छोड़ ॥
॥ हो गया जगमें उजियाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
रहे सुग्रीव पास जाई, आ गये बनमें रघुराई ।
हरिरावणसीतामाई, विकलफिरतेदोनों भाई ॥
विप्ररूप धरि राम को, कहा आप सब हाल ।
कपि पति से करवाई मित्रता, मार दिया कपि बाल ॥
॥ दुःख सुग्रीव तना टाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
आज्ञा ले रघुपति की धाया, लंक में सिन्धु लाँघ आया ।
हाल सीता का लख पाया, मुद्रिका दे बनफल खाया ॥
बन विध्वंस दशकंध सुत, वध कर लंक जलाया।
चूड़ामणि सन्देश त्रिया का, दिया राम को आय ॥
॥ हुए खुश त्रिभुवन भूपाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
जोड़ कपि दल रघुवर चाला, कटक हित सिन्धु बांध डाला ।
युद्ध रच दीन्हा विकराला, कियो राक्षस कुल पैमाला ॥
लक्ष्मण को शक्ति लगी, लायौ गिरी उठाय।
देई संजीवन लखन जियाये, रघुवर हर्ष सवाय ॥
॥ गरब सब रावन का गाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
रची अहिरावन ने माया, सोवते राम लखन लाया ।
बने वहाँ देवी की काया, करने को अपना चित चाया ॥
अहिरावन रावन हत्यौ, फेर हाथ को हाथ ।
मन्त्र विभीषण पाय आप को, हो गयो लंका नाथ ॥
॥ खुल गया करमा का ताला, कृपा कर सालासर वाला ॥
अयोध्या राम राज्य कीना, आपको दास बना लीना ।
अतुल बल घृत सिन्दूर दीना, लसत तन रूप रंग भीना ॥
चिरंजीव प्रभु ने कियो, जग में दियो पुजाय।
जो कोई निश्चय कर के ध्यावै, ताकी करो सहाय ॥
॥ कष्ट सब भक्तन का टाला, कृपा कर सालासर वाला ॥
भक्तजन चरण कमल सेवे, जात आय सालासर देवे ।
ध्वजा नारियल भोग देवे, मनोरथ सिद्धि कर लेवे ॥
कारज सारो भक्त के, सदा करो कल्यान ।
विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के, बालकृष्ण धर ध्यान ॥
॥ नाम की जपे सदा माला, कृपा कर सालासर वाला ॥
सालासर बालाजी चालीसा ( Salasar Balaji hanuman Chalisa)
सालासर बाला जी का चालीसा
(shri salasar balaji chalisa)
II दोहा II
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवऊॅ हनुमान I
सालासर के देवता सदा करो कल्याण II (१)
लाल देह की लालिमा मूर्ति लाल ललाम I
हाथ जोड़ विनती करूं पुरण करो सबके काम II (२)
II चौपाई II
जय जय जय सालासर धामा I
पावन रुचिर लोक अभीरामा II (१)
जिमि पावन मथुरा अरू काशी I
पुष्कर कुरुक्षेत्रं सुखरासी II (२)
अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा I
सालासर शुभ वरणु विचारा II (३)
राजस्थान सीकर निहराये I
लक्ष्मणगढ़ नगर मन भाये II (४)
तेहि नियम सालासर ग्रामा I
सर्कल भान्ति शुभ शुचि सुकधामा II (५)
सिद्ध पीठ यह परम पुनिता I
हनुमत दर्शन सब दु:ख बीता II (६)
ताते विनय करो सुनु बाई I
भजहुं पवनसुत सुमति पाई II (७)
सालासर हनुमत जिमि आवा I
कहुं सकल सुनु मन समुझावा II (८)
मोहनदास विप्र सब जाना I
भक्ति भाव गुण ज्ञान निधाना II (९)
उदय संगं ले खेत कमाये I
एक बार हनुमत तहं आये II (१०)
कह कपि विप्र सुनो मम बानी I
कीजे ध्यान भक्ति जिय जानी II (११)
तब तजि मोहन विप्र विचारी I
हनुमत जन सदा सुखकारी II (१२)
करई भजन भक्ति अरू ध्याना I
नित्य होई मिलन हनुमाना II (१३)
आसोटा मुरति प्रगटाये I
ले ठाकुर सालासर आये II (१४)
विक्रम अष्टादश शत ग्यारह I
आयऊ हनुमत रवि जिमि बारह II (१५)
श्रावण सित नवमी शनीवारा I
थायन योग भूमि असवारा II (१६)
मोहन पूजन हवन करवाई I
कपि मूरति थापी सुखदाई II (१७)
आरती मोहन मंगल गावा I
ढोल नगारा शब्द मुहावा II (१८)
चढे़ चूरमा भोग लगाये I
भजन कीर्तन सब मिलकर गाये II (१९)
एक बार मोहन मन भाई I
भई प्रेरणा मुर्त सजाई II (२०)
चित्र रचा जो मन सुखदाई I
भये प्रसन्न हनुमत कपिराई II (२१)
घृत सिंदूर थाल भर लीना I
मुरत लाल ललित कर दीना II (२२)
मोहन बोले उदय बुलाई I
हनुमत कहं अवराधै आई II (२३)
सेवहुं हनुमत लग्न लगाई I
नित प्रति भगती बढै सवाई II (२४)
सालासर जयकार मुहाई I
चहुंदिशी घंटा धुनि मन भाई II (२५)
दिन दिन हो मंदिर विस्तारा I
पूजा करे उदय परिवारा II (२६)
मंगल पूनम जो मन भाये I
सालासर शुभ दर्शन पाये II (२७)
ध्वजा नारियल आत चढ़ाये I
खांड चूरमा भोग लगाये II (२८)
हनुमत भजन करइ मन लाई I
सालासर हनुमान मनाई II (२९)
एहिविधि आई धोक लगाये I
मन इच्छा फल सब जन पाये II (३०)
आत्म ज्ञान बढे़ नित नाया I
जब ते होय हनुमत दाया II (३१)
सब विघ्न कष्ट विकार हटावे I
सालासर शरणा जो जावे II (३२)
चिंता सांपिनी ताको भाजे I
जाके हिय में हनुमत राजे II (३३)
हनुमत दर्शन अति मन भाई I
लाल देह छवि कहि नहिं जाई II (३४)
दूर-दूर से आवे लोग लुगाई I
बड़े भाग ते दर्शन पाई II (३५)
करहि सफल सब निज निज लोचन I
करि करि दर्शन संकट मोचन II (३६)
हनुमत महिमा चहुंदिशि गाजे I
सालासर हनुमान विराजे II (३७)
सालासर शुभ धाम भजामी I
जय जय जय बजरंग नमामि II (३८)
इंद्रजीत कपिराई सहाई I
सालासर महिमा जो गाई II (३९)
सालासर हनुमत चालीसा I
पढें सुने शुभ करे कपीसा II (४०)
II दोहा II
चालीसा शुभ धाम का, गाये जो चितलाय I
इंद्रजीत भगति बढें, दया करे कपिराय II
ओम सुमर गाते रहो, नित श्री सीताराम I
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम II
॥ श्री सालासर हनुमान जी का चालीसा सम्पूर्ण ॥
(shri salasar balaji chalisa)
II दोहा II
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवऊॅ हनुमान I
सालासर के देवता सदा करो कल्याण II (१)
लाल देह की लालिमा मूर्ति लाल ललाम I
हाथ जोड़ विनती करूं पुरण करो सबके काम II (२)
II चौपाई II
जय जय जय सालासर धामा I
पावन रुचिर लोक अभीरामा II (१)
जिमि पावन मथुरा अरू काशी I
पुष्कर कुरुक्षेत्रं सुखरासी II (२)
अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा I
सालासर शुभ वरणु विचारा II (३)
राजस्थान सीकर निहराये I
लक्ष्मणगढ़ नगर मन भाये II (४)
तेहि नियम सालासर ग्रामा I
सर्कल भान्ति शुभ शुचि सुकधामा II (५)
सिद्ध पीठ यह परम पुनिता I
हनुमत दर्शन सब दु:ख बीता II (६)
ताते विनय करो सुनु बाई I
भजहुं पवनसुत सुमति पाई II (७)
सालासर हनुमत जिमि आवा I
कहुं सकल सुनु मन समुझावा II (८)
मोहनदास विप्र सब जाना I
भक्ति भाव गुण ज्ञान निधाना II (९)
उदय संगं ले खेत कमाये I
एक बार हनुमत तहं आये II (१०)
कह कपि विप्र सुनो मम बानी I
कीजे ध्यान भक्ति जिय जानी II (११)
तब तजि मोहन विप्र विचारी I
हनुमत जन सदा सुखकारी II (१२)
करई भजन भक्ति अरू ध्याना I
नित्य होई मिलन हनुमाना II (१३)
आसोटा मुरति प्रगटाये I
ले ठाकुर सालासर आये II (१४)
विक्रम अष्टादश शत ग्यारह I
आयऊ हनुमत रवि जिमि बारह II (१५)
श्रावण सित नवमी शनीवारा I
थायन योग भूमि असवारा II (१६)
मोहन पूजन हवन करवाई I
कपि मूरति थापी सुखदाई II (१७)
आरती मोहन मंगल गावा I
ढोल नगारा शब्द मुहावा II (१८)
चढे़ चूरमा भोग लगाये I
भजन कीर्तन सब मिलकर गाये II (१९)
एक बार मोहन मन भाई I
भई प्रेरणा मुर्त सजाई II (२०)
चित्र रचा जो मन सुखदाई I
भये प्रसन्न हनुमत कपिराई II (२१)
घृत सिंदूर थाल भर लीना I
मुरत लाल ललित कर दीना II (२२)
मोहन बोले उदय बुलाई I
हनुमत कहं अवराधै आई II (२३)
सेवहुं हनुमत लग्न लगाई I
नित प्रति भगती बढै सवाई II (२४)
सालासर जयकार मुहाई I
चहुंदिशी घंटा धुनि मन भाई II (२५)
दिन दिन हो मंदिर विस्तारा I
पूजा करे उदय परिवारा II (२६)
मंगल पूनम जो मन भाये I
सालासर शुभ दर्शन पाये II (२७)
ध्वजा नारियल आत चढ़ाये I
खांड चूरमा भोग लगाये II (२८)
हनुमत भजन करइ मन लाई I
सालासर हनुमान मनाई II (२९)
एहिविधि आई धोक लगाये I
मन इच्छा फल सब जन पाये II (३०)
आत्म ज्ञान बढे़ नित नाया I
जब ते होय हनुमत दाया II (३१)
सब विघ्न कष्ट विकार हटावे I
सालासर शरणा जो जावे II (३२)
चिंता सांपिनी ताको भाजे I
जाके हिय में हनुमत राजे II (३३)
हनुमत दर्शन अति मन भाई I
लाल देह छवि कहि नहिं जाई II (३४)
दूर-दूर से आवे लोग लुगाई I
बड़े भाग ते दर्शन पाई II (३५)
करहि सफल सब निज निज लोचन I
करि करि दर्शन संकट मोचन II (३६)
हनुमत महिमा चहुंदिशि गाजे I
सालासर हनुमान विराजे II (३७)
सालासर शुभ धाम भजामी I
जय जय जय बजरंग नमामि II (३८)
इंद्रजीत कपिराई सहाई I
सालासर महिमा जो गाई II (३९)
सालासर हनुमत चालीसा I
पढें सुने शुभ करे कपीसा II (४०)
II दोहा II
चालीसा शुभ धाम का, गाये जो चितलाय I
इंद्रजीत भगति बढें, दया करे कपिराय II
ओम सुमर गाते रहो, नित श्री सीताराम I
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम II
॥ श्री सालासर हनुमान जी का चालीसा सम्पूर्ण ॥
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सालासर बालाजी आरती का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
सालासर बालाजी की आरती करने से व्यक्ति को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है | मनुष्य समस्त रोगों से मुक्त तथा सभी नकारात्मक शक्तियों से दूर हो जाता है और सकारात्मकता उसके जीवन का हिस्सा बन जाती है | जीवन से भय और परेशानियों से मुक्ति मिलती है तथा मनुष्य को धन धान्य की प्राप्ति होती है जीवन में हर प्रकार की खुशियाँ मिलती है तथा जीवन सुखमय व्यतीत होता है |
सालासर बालाजी आरती पढ़ने का सही तरीका क्या है?
सालासर बालाजी आरती करने का सही तरीका जानना बहुत ही आवश्यक है | वैसे तो आप सालासर बालाजी जी कीआरती किसी भी दिन करें यह बहुत लाभकारी है परन्तु इस आरती का सबसे अधिक महत्व शनिवार एवं मंगलवार को है | शनिवार या मंगलवार को यदि आप सालासर बालाजी की आरती करते हैं तो सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें | उसके बाद सालासर बालाजी के तस्वीर के सम्मुख चालीसा का पाठ करें तत्पश्चात आरती करें |
पाठ आरंभ करने से पहले सालासर बालाजी का स्मरण करें | सालासर बालाजी चालीसा तथा आरती के समाप्त होने के बाद आप बेसन की बर्फी का भोग जरूर लगाए | अंत में आप सभी परिवार के सदस्यों में प्रसाद को वितरित करे |
सालासर बालाजी प्रसाद में क्या लगाया जाता है?
सालासर बालाजी को चूरमा, बूंदी के लड्डू तथा बेसन की बर्फी का प्रसाद लगाना अत्यंत प्रचलित है | भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर सालासर बालाजी को सवामणी चढ़ाते हैं जिसमें सवा मन बेसन की बर्फी, बूंदी के लड्डू या चूरमा का प्रसाद लगाया जाता है |
सालासर बालाजी की आरती करने से व्यक्ति को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है | मनुष्य समस्त रोगों से मुक्त तथा सभी नकारात्मक शक्तियों से दूर हो जाता है और सकारात्मकता उसके जीवन का हिस्सा बन जाती है | जीवन से भय और परेशानियों से मुक्ति मिलती है तथा मनुष्य को धन धान्य की प्राप्ति होती है जीवन में हर प्रकार की खुशियाँ मिलती है तथा जीवन सुखमय व्यतीत होता है |
सालासर बालाजी आरती पढ़ने का सही तरीका क्या है?
सालासर बालाजी आरती करने का सही तरीका जानना बहुत ही आवश्यक है | वैसे तो आप सालासर बालाजी जी कीआरती किसी भी दिन करें यह बहुत लाभकारी है परन्तु इस आरती का सबसे अधिक महत्व शनिवार एवं मंगलवार को है | शनिवार या मंगलवार को यदि आप सालासर बालाजी की आरती करते हैं तो सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें | उसके बाद सालासर बालाजी के तस्वीर के सम्मुख चालीसा का पाठ करें तत्पश्चात आरती करें |
पाठ आरंभ करने से पहले सालासर बालाजी का स्मरण करें | सालासर बालाजी चालीसा तथा आरती के समाप्त होने के बाद आप बेसन की बर्फी का भोग जरूर लगाए | अंत में आप सभी परिवार के सदस्यों में प्रसाद को वितरित करे |
सालासर बालाजी प्रसाद में क्या लगाया जाता है?
सालासर बालाजी को चूरमा, बूंदी के लड्डू तथा बेसन की बर्फी का प्रसाद लगाना अत्यंत प्रचलित है | भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर सालासर बालाजी को सवामणी चढ़ाते हैं जिसमें सवा मन बेसन की बर्फी, बूंदी के लड्डू या चूरमा का प्रसाद लगाया जाता है |
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